निर्भया के चार दोषियों को तिहाड़ जेल में फांसी हुई। चारों दोषियों की फांसी से पहले भास्कर दुष्कर्मी मुकेश सिंह और राम सिंह के गांव कल्लादेह पहुंचा। राजस्थान के करौली जिले के एक छोटे से गांव कल्लदेह में कुल 5 से 6 छप्पर वाले घर ही है। यहां पहुंचने के लिए भी भद्रावती नदी पार करके जाना पड़ता है। करौली शहर से करीब चार किलोमीटर दूर कल्लादेह गांव शहरी सुविधाओं से भी दूर है। यहां कार से पहुंचना मुश्किल है। जहां दुष्कर्मी मुकेश सिंह का छप्परनुमा घर नदी के किनारे बना है, जो अब बंद रहता है। कभी यहां उसकी मां कल्याणी रहती थी, जो बेटे की करतूत के बाद गांव छोड़कर जा चुकी है। आसपास भी कोई घर नहीं है। करीब 100 से 150 मीटर चलने के बाद एक दूसरा छप्पर मिला। जहां कुछ लोग रहते हैं। जब हमने इन लोगों से बात की तो कहते हैं कि हम अपनी जुबान पर मुकेश का नाम भी नहीं लेना चाहते।
'वो तो बचपन में ही चले गए थे, लेकिन उसकी हैवानियत ने शर्मसार कर दिया'
कल्लादेह बस्ती के लोगों का कहना है कि आरोपी बचपन में ही करौली से चले गए, लेकिन उनकी हैवानियत ने जिले को शर्मसार सर दिया। अब कुकर्म करने वालों को फांसी की सजा होना कानून और न्याय की जीत है। करौली का दाग भी धुलना चाहिए।
दिल्ली आती-जाती रहती थी मां
थोड़ा दूर जाने पर गांव के बाहर के लोग जरूर मुकेश के बारे में बात करते मिलते हैं। लोगों का कहना है कि मुकेश की शादी नहीं हुई थी। वह अपने तीन भाइयों के साथ दिल्ली में ही रहता था। उसकी मां कल्याणी जरूर दिल्ली आती-जाती रहती थी, लेकिन मुकेश के पिता की मौत के बाद गांव में ही रहने लगी थी। जो सजा सुनाए जाने के बाद दिल्ली ही चली गई। मुकेश का बड़ा भाई राम सिंह भी निर्भया केस का मुख्य दोषी था। दोनों साथ में ही दिल्ली में रहते थे। राम सिंह ड्राइवर था, वहीं मुकेश खलासी का काम करता था। राम सिंह की पत्नी की मौत होने के बाद वो शराब पीने का आदी हो गया था। दोषी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।